Friday, 30 March 2018

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ - आहड़ की सभ्यता (RPSC 1st व 2nd Grede exam)

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ -  आहड़ की सभ्यता



स्थान -  आहड़ (उदयपुर)
नदी  -   आयड़ (आगे नाम बेडच)
खोज -   1. अक्षय कीर्ति व्यास - 1953
            2.  रतन चन्द्र अग्रवाल - 1954 - 56
उत्खनन/ खुदाई :- एच.डी. सांकलिया - 1961
उपनाम - बनास की सभ्यता

समय - 1900 ईसा पुर्व से 1200 ईसा पुर्व

काल - ताम्र पाषाण काल
सबसे अधिक उत्खनन करवाया 1961 में एच. डी.(हंसमुख धीरजलाल) सांकलिया ने।आहड़ का प्राचीन नाम - ताम्रवती10 या 11 शताब्दी में इसे आघाटपुर/आघाट दुर्ग कहते थे।स्थानीय नाम - धुलकोरविशेषताभवन निर्माण में पत्थर का प्रयोगउत्खनन में अनाज पिसने की चक्की मिली है।कपड़ों में छपाई किये जाने वाले छापे के साक्ष्य मिले हैं।छः तांबे के सिक्के मिले हैं।यहां से एक भवन में छः मिट्टी के चुल्हे मिले हैं।मिट्टी के बर्तन व तांबे के आभुषण मिले है।



  • इस सभ्यता को - बनास संस्कृति, ताम्रवति नगरी, आधारपुर, धूलकोट, आद्याटपुर संस्कृति आदि अन्य नाम से भी जाना जाता है।
  • आहड़ में तांबे के साथ-साथ पाषाण के उपकरण भी मिले है। इसलिए इस सभ्यता को ताम्रपाषाण कालीन सभ्यता कहा जाता है।
  • यह सभ्यता एक ग्रामीण सभ्यता थी यहाँ के लोगों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि व पशुपालन था। यहाँ के प्रमुख उद्योग- तांबे के औजार का निर्माण।
  • यहाँ से नारी की मूर्ति, तांबे की चूड़ियाँ, छल्ले व मनके मिले हैं।
  • एक मकान में 4 व 6 चूल्हें के प्रमाण प्राप्त हुए है, जो संयुक्त परिवार को इंगित करता है।
  • यहाँ से प्राप्त मृदभाण्डों का रंग लाल-काला, काला व लाल था।
  • यहाँ ताँबे की 6 मुद्राएँ मिली है। एक मुद्रा के ऊपर यूनान के देवता अपोलो का चित्र मिला है। यह मुद्रा प्रथम शताब्दी ई. पू. से तीसरी शताब्दी ई. पू. की मानी जाती है।
  • आहड़ में शवों को आभूषण सहित दफनाते थे एवं शवों का सिर उत्तर दिशा में रखकर दफनाया जाता था।

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