राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ
1. कालीबंगा की सभ्यता :-
स्थान - हनुमानगढ़ (राजस्थान)
नदी - घग्घर नदी (प्राचीन नाम - सरस्वती/दृषद्वति)
खोज - अमलानंद घोष (सन् 1951- 53 /1952)
उत्खनन - सन् 1961- 69 में
1. डॉ. B.V. लाल
2. डॉ. बी.के. थापर
3. डॉ. एम. डी. खरे
काल/समय :- 2300-1750 BC./ईं. पू
वर्तमान से 4318 वर्ष पहले/पूर्व
उपनाम :- सिंधु सभ्यता की तीसरी राजधानी- डॉ. दसरथ शर्मा के अनुसार
कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ :- काली चूड़ियाँ
1. कालीबंगा सिंधु सभ्यता का एक नगर था । जिसके निर्माता द्रविड़ माने जाते है।
2. यह आद्य युगीन सभ्यता है । तथा ताम्र पाषाण के अंतर्गत आती है ।
3. यह एक कांस्य युगीन सभ्यता हैं ।यहाँ समाज मातृसत्तात्मक था ।
4. सिंधु सभ्यता की प्रमुख विशेषता नगर नियोजन प्रणाली थी । जिसमें सड़कें चोड़ी जो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी । जिसे ग्रीड पद्दति/चौपड़ पैटर्न कहा जाता है ।
5. वर्तमान भारत का जयपुर व चंडीगढ़ नगर इसी ग्रीड / चौपड़ पैटर्न पर आधारित है ।
6. कालीबंगा की खुदाई का कार्य 5 चरणों में किया गया -
1,2, चरण में - प्राक् हड़प्पा सभ्यता - 5000 वर्ष पूर्व की - ग्राम्य
3,4,5 चरण में - हड़प्पा सभ्यता - 4300 वर्ष पूर्व - नगरीय
7. जूते हुये खेत व एक साथ दो फसलें उगाने के प्रमाण प्राक् हड़प्पा सभ्यता से संबंधित हैं ।
8. कालीबंगा से प्राप्त गढ़ी क्षेत्र (राजभवन) व नगर क्षेत्र दोनों अलग-अलग परकोटे से घिरे हुए थे ।
9. कालीबंगा से प्राप्त भवन कच्ची ईंटो से निर्मित थे जो धुप में पकाई गई थी।10. जल निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था थी जो पक्की ईंटो व लकड़ी की बनी होती थी ।
11. यहाँ से काली चूड़ियों के टुकड़े, तंदूरनुमा चूले, अग्निवेदियाँ तथा मकानों में कवेलू व सीढ़ियाँ भी प्राप्त हुई हैं ।
12. यहाँ से सतरंज व चौसठ खेल की मोहरें ,हाथी दाँत की कंघी ,ऊँट की हड्डियां व भूकंप के अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
13 . यहाँ से अंडाकार कब्रें व युग्म शवदान प्राप्त हुए हैं ।
14. यहाँ से कपास के अवशेष प्राप्त हुए है जिसे यूनानी भाषा में सिंडन कहा जाता हैं ।
15 . यहाँ से मेसोपोटामियां (ईराक) की बेलनाकार मोहरें प्राप्त हुई हैं, अर्थात इनका व्यापार सुमेरियन वासियों के साथ था ।
16. यहाँ से 9 वर्षीय बालक की छिद्रित खोपड़ी प्राप्त हुई है जो शल्य चिकित्सा का प्रमाण हैं ।
17. यहाँ से वृषभाकृति की ताम्र प्रतिमा प्राप्त हुई है जो धातु प्रतिमा का प्राचीनतम उदहारण हैं ।जो राजस्थान की प्राचीनतम प्रतिमा हैं ।
18. यहाँ से प्राप्त मुद्रा पर व्याघ्र (शेर) का चित्र अंकित है जो शेरखड़ी या पक्की मिट्टी से निर्मित थे ।
19. संस्कृत साहित्य में कालीबंगा को "बहुधान्यकटक" कहा गया हैं तथा यहाँ से जौ व गेहूँ के अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
20. यहाँ से प्राप्त मृदभांडों पर सिंधु लिपि के प्रमाण है जिसे आज दिन तक पढ़ा नहीं गया । यह भाव चित्राक्षर लिपि हैं ,जो दायें से बायें लिखी जाती हैं ।
21. डॉ. बी. वी. लाल ने सिंधुलिपि को "ब्रुस्टोफेदम" नाम दिया ।
Note-
1 . गिलूंड (राजसमंद) से सिंधु लिपि के प्रमाण प्राप्त हुए हैं ।
2. बरोर गाँव गंगानगर से हड़प्पा सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुये हैं ।
3. सोथी बीकानेर को कालीबंगा प्रथम कहा जाता है ।
4. पीलीबंगा (हनुमानगढ़) से हडप्पा सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
5. हल ही में हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के करनपुरा से कालीबंगा के समकालीन अवशेष प्राप्त हुये हैं ।



No comments:
Post a Comment