Sunday, 17 February 2019

राजस्थान के लोक देवता - बाबा रामदेव

राजस्थान के लोक देवता - बाबा रामदेव


  •  बाड़मेर की शिव तहसील के ऊंडूकासमेर गांव के तंवरवंसी अलमाल जी के घर ,माता मेणा दे की कोख से बिरमदेव तथा रामदेव पैदा हुए ।
  • बाल्यावस्ता में ही पोकरण के पास सातलदेव में भैरव नामक क्रूर राक्षक का वध किया ।
  • बाबा रामदेव जी के गुरु बालीनाथ जी थे।
  • इनका विवाह अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान में) सोढ़ा, दलेसिंह की सुपुत्री नेतलदे के साथ हुआ।
  • इन्होंने जाति पाति ,छुआछूत, ऊँच-,नीच का विरोध कर हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित की।
  • रामदेवरा में रामदेव जी की समाधी स्थल पर विशाल मंदिर हैं , जहाँ भाद्रपद शुक्ला द्वितीया से एकादशी तक विशाल मेले का आयोजन होता है ।
  • बाबा रामदेव जी के मंदिर जोधपुर के पश्चिम में मसूरिया पहाड़ी,विराटियाँ (अजमेर) तथा सुरताखेड़ा (चित्तोड़गढ़) में भी है।
  • रामदेवजी को रामसा पीर भी कहते हैं।
  • रामदेव जी  के मेले का आकर्षण तेरहताली नृत्य है।
  • अन्य मंदिर - बाराठिया अजमेर व सुरता खेड़ा चित्तोड़ में है।
  • छोटा रामदेवरा गुजरात राज्य में है ।
  • रामदेव जी ने कामड़ियां पंथ प्रारंभ किया था ।
  • रामदेव जी ने मेघवाल जाति की डालीबाई को अपनी बहन बनाया।
  • रामदेव जी के पगलिये पूजे जाते हैं ।
  • रामदेव जी के भक्त रिखिया कहलाते है।
  • भाद्रपद शुक्ला द्वितीया 'बाबे री बीज' के नाम से पुकारी जाती हैं तथा यही तिथि रामदेवजी के अवतार की तिथि के रूप में भी लोक प्रचलित है ।
  • रामदेव जी के मंदिर को देवरा कहा जाता है । जिन पर श्वेत या पांच रंगों का ध्वजा 'नेजा' पहराया जाता है ।
  • रामदेव जी एक मात्र लोकदेवता है जो कवि भी थे । इनकी रचित 'चौबीस बाणियाँ' प्रसिद्ध  है ।
  • रामदेवजी के नाम पर भाद्रपद द्वितीया व एकादशी को रात्रि जागरण किया जाता हैं , जिसे  'जम्मा' जागरण कहते है।
  • रामदेव के चमत्कारी जीवन गाथाओं का यशगान पर्चा में होता है ,तथा रामदेव जी की आस्था में भक्तों के द्वारा ब्यावले बाँचे जाते हैं ।

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