Friday, 30 March 2018

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं- बैराठ सभ्यता , RPSC 1ST व 2ND grede

बैराठ सभ्यता
जिला - जयपुर
नदी - बाणगंगा
समय - 600 ईसा पुर्व से 1 ईस्वी
काल - लौह युगीन
खोजकत्र्ता/ उत्खनन कर्ता - 1935 - 36 दयाराम साहनी
प्रमुख स्थल - बीजक की पहाड़ी, भीम की डुंगरी, महादेव जी डुंगरी
विशेषता
1. महाजन पद संस्कृति के साक्ष्य(600 ईसा पुर्व से 322 ईसा पुर्व तक)
मत्स्य जनपद की राजधानी - विराटनगर
(मत्स्य जनपद - जयपुर, अलवर, भरतपुर)
विराटनगर - बैराठ का प्राचीन नाम है।
2. महाभारत संस्कृति के साक्ष्य
पाण्डुओं ने अपने 1 वर्ष का अज्ञातवास विराटनगर के राजा विराट के यहां व्यतित किया था।
3. बौद्धधर्म के साक्ष्य मिले हैं।
बैराठ से हमें एक गोलाकार बौद्ध मठ मिला है।
4. मौर्य संस्कृति के साक्ष्य मिले हैं।
मौर्य समाज - 322 ईसा पुर्व से 184 ईसा पुर्व
सम्राट अशोक का भाब्रु शिलालेख बैराठ से मिला है।
भाब्रु शिलालेख की खोज - 1837 कैप्टन बर्ट
इसकी भाषा - प्राकृत भाषा
लिपी - ब्राह्मणी
वर्तमान में भाब्रु शिलालेख कोलकत्ता के संग्रहालय में सुरक्षित है।
5. हिन्द - युनानी संस्कृति के साक्ष्य मिले है।
यहां से 36 चांदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं 36 में से 28 सिक्के हिन्द - युनानी राजाओं के है। 28 में से 16 सिक्के मिनेण्डर राजा(प्रसिद्ध हिन्द - युनानी राजा) के मिले हैं।
शेष 8 सिक्के प्राचीन भारत के सिक्के आहत(पंचमार्क) है।
नोट - भारत में सोने के सिक्के हिन्द - युनानी राजाओं ने चलाये थे।
तथ्य
पाषाण काल - 5 लाख ईसा पुर्व से 4000 ईसा पुर्व
ताम्र पाषाण काल - 4000 ईसा पुर्व - 1000 ईसा पुर्व
लौह युग - 1000 ईसा पुर्व से वर्तमान तक


बैराठ सभ्यता
  • प्राचीन काल में भारत में 16 महाजनपद थे। राजस्थान से संबंधित 2 महाजनद - (1) मत्स्य महाजनपद - राजस्थानी (विराट नगर) इसी विराट नगर को आधुनिक बैराठ के नाम से जाना जाता है।
  • सूरशेन महाजनपद - राजधानी (मथुरा)।
  • बैराठ में उत्खनन कार्य निम्न पहाड़ियों पर किया गया। इन पहाड़ियों को स्थानीय भाषा में डूँगरी कहा गया है।
(1) बीजन पहाड़ी              (2) महादेव पहाड़ी
(3) भीम पहाड़ी               (4) गणेश/मोती पहाड़ी
  • महाभारत काल का संबंध बैराठ से रहा है। पाण्डवों ने अज्ञातवास का कुछ समय बैराठ में व्यतीत किया। भीमलत तालाब का संबंध भी पाण्डवों से ही माना जाता है। भीम पहाड़ी से पाषाण के शस्त्र बनाने के कारखाने प्राप्त हुए है।
  • बैराठ से बड़ी मात्रा में शैल चित्र के प्रमाण प्राप्त हुए है। इसलिए बैराठ को "प्राचीन युग की चित्रशाला भी कहा गया है।"
  • बैराठ की बीजक पहाड़ी से कैप्टन बर्ट के द्वारा मौर्य शासक अशोक का भाब्रु का शिलालेख खोजा। इस शिलालेख से ज्ञात होता है कि अशोक बौद्ध धर्म की अनुयायी था।
  • शिलालेख की भाषा- प्राकृत एवं लिपि - बाह्मी है।
  • कार्लाइल के द्वारा मौर्य शासक अशोक का एक अन्य शिलालेख खोजा गया। वर्तमान में यह दोनों शिलालेख कलकत्ता संग्राहलय में सुरक्षित है।
  • बौद्ध धर्म से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए 634 ई. में चीनी यात्री हेवनसांग बैराठ ह्वेनसांग को यहाँ पर बौद्ध मठ के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। यह साक्ष्य भग्नावेश अवस्था (जर्जर अवस्था) में थे। इस अवस्था के लिए ह्वेनसांग हूण शासक मिहिर कुल को जिम्मेदार मानता है।
  • ह्वेनसांग की पुस्तक का नाम सी-यू-की है।
  • यहाँ से एक सूती कपड़े में बंधी हुई 36 मुद्राएँ प्राप्त हुई है। इनमें से 28 मुद्राएँ प्राप्त हुई है। इनमें से 28 मुद्राएँ इण्डोग्रीक शासकों की व 8 मुद्राएँ आहत व पंचमार्क मुद्राए थी।
  • जयपुर के शासक रामसिंह द्वितीय के समय बैराठ में खुदाई कार्य करवाया गया। जिसमें एक स्वर्ण मंजूषा (पेटी) प्राप्त हुई है। इस मंजूषा में महात्मा बुद्ध के अवशेष मिले है।
  • मुगल शासक अकबर ने बैराठ में सिक्के ढालने की टकसाल का निर्माण करवाया है। इस टकसाल में जहाँगीर व शाँहजहा ने सिक्कों का निर्माण करवाया है।
  • अकबर व आमेर के शासक भारमल की प्रथम भेंट बैराठ नामक स्थान पर ही हुई।

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